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    BCCI Cricket Board: भारत का क्रिकेट बोर्ड कैसे काम करता है: बीसीसीआई की शक्ति और फंडिंग जानें

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    BCCI Cricket Board: 2005 के बाद कम से कम तीन ऐसे महत्वपूर्ण अवसर आए, जब बीसीसीआई विवादों में घिरी और उसके कामकाज पर सवाल उठाए गए। आईपीएल में फिक्सिंग के आरोपों ने बीसीसीआई की प्रतिष्ठा को कमजोर कर दिया।

    50-50 ओवरों के विश्वकप मैच के दौरान बीसीसीआई काफी विवादों में था। जब पाकिस्तान क्रिकेट टीम ने बीसीसीआई पर पिच पर सवाल उठाया, तो भारत के पूर्व कप्तान कपिल देव ने भी फाइनल मैच में नहीं बुलाए जाने पर सवाल उठाया।

    श्रीलंका क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान अर्जुन राणातुंगा ने बीसीसीआई के सचिव पर गंभीर आरोप लगाए कि वे श्रीलंका बोर्ड को बर्बाद कर देंगे। यह पहली बार नहीं है कि बीसीसीआई विवादों के कारण चर्चा में है।

    2005 के बाद कम से कम तीन ऐसे महत्वपूर्ण अवसर आए, जब बीसीसीआई विवादों में घिरी और उसके कामकाज पर सवाल उठाए गए। आईपीएल में फिक्सिंग के आरोपों ने बीसीसीआई की प्रतिष्ठा को कमजोर कर दिया।

    उस वक्त, फिक्सिंग की जांच करने वाली जस्टिस लोढ़ा कमेटी ने आईपीएल की दो टीमों को बाहर कर दिया था। कई खिलाड़ियों को भी सजा दी गई।

    2017 में बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के दोनों को सुप्रीम कोर्ट ने बर्खास्त कर दिया था। दोनों पर सुप्रीम कोर्ट का अपमान करने का आरोप लगाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के अध्यक्ष को पहली बार पद से हटा दिया था।

    बीसीसीआई का नाम क्या है और इसकी स्थापना कब हुई?

    1927 में, ब्रिटिश सरकार ने नई दिल्ली के एक क्लब में क्रिकेट को ब्रिटिश नियंत्रण से मुक्त करने के लिए एक संयुक्त बोर्ड बनाने का प्रस्ताव पारित किया। इसका गठन उस समय आठ राज्यों की क्रिकेट टीम ने किया था। 1928–1929 में इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ने इसे मंजूरी दी।

    1940 में, बीसीसीआई को मद्रास 1860 अधिनियम XXI के तहत पंजीकृत किया गया। आजादी के बाद, इस क्रिकेट बोर्ड को 1975 के तमिलनाडु सोसायटी पंजीकरण अधिनियम में पंजीकृत किया गया।

    भारतीय क्रिकेट संघ (बीसीसीआई) का मूल उद्देश्य भारत में क्रिकेट की गुणवत्ता और मानकों को बढ़ाने के लिए नीति बनाना है। इसके लिए बोर्ड का कानून है, जिसके तहत निर्णय किए जाते हैं।

    बीसीसीआई को संचालन करने के लिए इसके मूल संस्थान में पांच महत्वपूर्ण पद बनाए गए हैं। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष और संयुक्त सचिव ये पद हैं।

    एपेक्स काउंसिल बोर्ड की सर्वोच्च संस्था है। इस बैठक में बीसीसीआई के सभी अधिकारी और भारत सरकार द्वारा नियुक्त एक अधिकारी शामिल होंगे। यही इकाई सभी महत्वपूर्ण निर्णय लेती है।

    भारत में बीसीसीआई का प्रदर्शन कैसा है?

    भारत में बीसीसीआई का मूल काम घरेलू क्रिकेट को बढ़ावा देना और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल के पैमाने पर खड़ा उतरने के लिए टीम का गुणवत्ता सेट करना है. बीसीसीआई की नीति भी इसी से संबंधित है।

    अंतरराष्ट्रीय खेलों में बीसीसीआई के खिलाड़ियों, कोचों, प्रबंधन आदि को चुनता है। वहीं बीसीसीआई का महत्व बढ़ जाता है अगर अंतरराष्ट्रीय खेल भारत में होते हैं। तब बीसीसीआई भी स्टेडियम चुनता है।

    बीसीसीआई के एजीएम बैठक में सिलेक्शन से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय किए जाते हैं। यह बैठक व्यक्तिगत नहीं होगी। हालाँकि, इस मीटिंग के कई फैसलों पर बार-बार प्रश्न उठता है।

    कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे कार्यालय में संयोजक कांग्रेस नेता गौरव पांधी ने अहमदाबाद स्टेडियम को पनौती स्टेडियम करार देते हुए फाइनल मैच को स्थानांतरित करने पर टिप्पणी की।

    बीसीसीआई सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड है

    भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का रेवेन्यू सिस्टम भी हाल के वर्षों में काफी चर्चा में रहा है। उस साल राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में भारत के वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि बीसीसीआई ने वित्त वर्ष 2018–2022 के दौरान 27,411 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त किया था।

    एक रिपोर्ट के अनुसार, बीसीसीआई का नेट वर्थ 2022 में 2.25 बिलियन डॉलर होगा। भारत सरकार का कहना है कि इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) के रेवेन्यू शेयरों, स्पॉन्सरशिप और मीडिया राइट्स बीसीसीआई को पैसा देते हैं।

    वित्त मंत्रालय के मुताबिक बीसीसीआई ने भारत सरकार को 2021-22 में टैक्स के रूप में 1159.20 करोड़ रुपए चुकाए हैं. 2020-21 में यह आंकड़ा 844.92 करोड़ था.

    विशेषज्ञों का कहना है कि बीसीसीआई खेल क्षेत्र में फीफा के बाद सबसे धनी है। फीफा का नेटवर्थ बीसीसीआई के नेटवर्थ से थोड़ी ही अधिक है, जो 2.37 बिलियन डॉलर है।

    क्या बीसीसीआई की क्षमता है?

    भारत का क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड एक स्वतंत्र निकाय है। सरकार इसके वित्तीय और प्रशासनिक अधिकारों में हस्तक्षेप करने के बराबर है। सबसे महत्वपूर्ण निर्णय बीसीसीआई की जनरल बॉडी और एपेक्स काउंसिल करते हैं।

    इसके नियम में वित्तीय लेनदेन की जांच शामिल है। बीसीसीआई हर साल अपनी ऑडिट रिपोर्ट अपनी वेबसाइट पर अपलोड करता है। खेल मंत्रालय ने बीसीसीआई को भी सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के अधीन रखा है।

    बीसीसीआई के प्रदेश और राष्ट्रीय सदस्यों द्वारा बीसीसीआई के पांच प्रमुख पदों का चुनाव किया जाता है। संविधान कहता है कि कोई व्यक्ति एक पद पर तीन बार से अधिक नहीं रह सकता।

    इंटरनेशल क्रिकेट काउंसिल (ICC) बीसीसीआई को नियंत्रित करता है। आईसीसी बीसीसीआई पर किसी भी नियम के उल्लंघन के आरोप में कार्रवाई कर सकती है।

    बीसीसीआई की कार्यप्रणाली पर सवाल क्यों उठते हैं?

    भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को बार-बार सवाल क्यों लगाया जाता है? आइए इसे विस्तार से देखें..

    राजनीतिक छाया से निकल नहीं पाया– खेल पत्रकार राजेंद्र साजवान ने कहा कि बोर्ड अभी भी राजनीतिक दबाव से बच नहीं पाया है। जिस व्यक्ति और पार्टी ने पहले नियंत्रण किया था, वह अब किसी और व्यक्ति और पार्टी द्वारा नियंत्रित है।

    साजवान का कहना है कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर बोर्ड में एक ही पार्टी और उससे जुड़े लोगों का वर्चस्व है। ऐसे में भी उसी आधार पर फैसला किया जाता है।

    इसमें कुछ भी नया नहीं है, एक पूर्व बीसीसीआई अधिकारी ने कहा, जो नाम नहीं बताना चाहता था। शरद पवार ने अपने क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। जगमोहन डालमिया के कार्यकाल में बीसीसीआई उनके अधीन था। इसी तरह एन श्रीनिवासन ने तमिलनाडु क्रिकेट पर नियंत्रण किया था।

    बोर्ड में पारदर्शिता की कमी- बोर्ड में अपारदर्शिता और तानाशाही का इतिहास है। बोर्ड नियम 6.1 कहता है कि सदस्य, पदाधिकारी, सिलेक्शन कमेटी के सदस्य और सपोर्टिंग स्टाफ प्रेस से बात नहीं करेंगे।

    जैसा कि वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र साजवान ने बताया, बोर्ड पर सवाल उठने पर उधर से संतोषजनक उत्तर भी नहीं मिलता। पदाधिकारी की कार्यशैली पर भी सवाल उठते हैं क्योंकि कोई बात नहीं करता।

    हाल ही में कपिल देव और पिच विवाद पर बीसीसीआई का व्यवहार भी ऐसा ही था। बीसीसीआई ने अभी तक पूर्व कप्तान कपिल देव को न्यौता नहीं देने की घोषणा नहीं की है।

    2007-08 में कपिल देव ने बीसीसीआई के नियमों का विरोध करते हुए एक बागी क्रिकेट लीग बनाई। उस समय, बीसीसीआई ने कपिल देव पर कठोर कार्रवाई की, उन्हें उस समय मिलने वाले पैसे पर रोक लगा दी।

    बाद में, कपिल देव और बोर्ड ने एक समझौता किया और बागी क्रिकेट लीग को समाप्त कर दिया।

    इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल में हस्तक्षेप बढ़ा- बीसीसीआई का आईसीसी में योगदान लगातार बढ़ता जा रहा है। उस वर्ष आईसीसी की बैठक के बाद, बीसीसीआई के सचिव जय शाह ने एक पत्र में सभी बोर्ड को सूचित किया कि बीसीसीआई आईसीसी का 38 प्रतिशत लाभ लेगा।

    लेकिन इसमें दूसरा पक्ष भी है। 2021 में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष रमीज रजा ने एक इंटरव्यू में कहा कि बीसीसीआई पर आईसीसी का दबदबा बढ़ रहा है क्योंकि उसके पास अधिक पैसा है।

    रजा ने कहा कि भारत आईसीसी का ९० प्रतिशत राजस्व देता है। आईसीसी भारत से सबसे ज्यादा पैसा कमाती है, लेकिन जानकारों का कहना है कि यह डेटा पूरी तरह से सही नहीं है।

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