Bhai Dooj 2023 की तिथि: भाई दूज हर साल कार्तिक शुक्ल द्वितीय तिथि को मनाया जाता है। 14 नवंबर को दोपहर 02.36 बजे कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि शुरू होगी और 15 नवंबर को दोपहर 01.47 बजे समाप्त होगी। 15 नवंबर, बुधवार को उदिया तिथि के चलते भाई दूज का त्योहार मनाया जाएगा।
Bhai Dooj 2023 की तिथि: कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि भाई दूज है। इस दिन बहनें अपने भाई को भाग्योदय का तिलक लगाकर मंगलकामनाएं देती हैं। बहनें भाई की लंबी उम्र चाहती हैं। माना जाता है कि इस दिन बहन का तिलक लगाने वाला भाई अकाल नहीं मरता। भाई दूज की तिथि को लेकर इस साल बहुत मतभेद है। 14 नवंबर भाई दूज है, लेकिन 15 नवंबर है। आइए जानें भाई दूज का त्योहार कब है।
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरुणेश कुमार शर्मा ने बताया कि कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि 14 नवंबर को दोपहर 02.36 बजे शुरू होगी और 15 नवंबर को दोपहर 01.47 बजे समाप्त होगी। 15 नवंबर, बुधवार को उदिया तिथि के चलते भाई दूज का त्योहार मनाया जाएगा।
भाई दूज का शुभ मुहूर्त (Bhai Dooj 2023 Shubh Muhurt)
भाई दूज पर भाई को तिलक लगाने के दो शुभ समय हैं। 15 नवंबर को सुबह 6 बजे 44 मिनट से 9 बजे 24 मिनट तक पहला शुभ मुहूर्त होगा। यही कारण है कि दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजे 40 मिनट से दोपहर 12 बजे तक चलता है।
भाई दूज पर क्या करना चाहिए?(Bhai Dooj 2023 pujan vidhi)
भाई दूज के दिन शुद्ध जल से स्नान करें। अपनी बहन के घर जाएं और उसने बनाया खाना खाएं। बहन अपने भाई को भोजन देती है और उसे तिलक लगाती है। फिर भाई अपनी क्षमता के अनुसार बहन को कुछ दें।
यम द्वितीया, या भाई दूज, पर यमराज को प्रसन्न करने के लिए बहनें व्रत भी रखती हैं। भाई दूज के दिन, यमराज और उसके सचिव चित्रगुप्त भी पूजे जाते हैं। ज्योतिषियों का कहना है कि चित्रगुप्त का पूजन करने से ही पूरा लाभ मिलता है।
भाई दूज पर चित्रगुप्त की पूजा
चित्रगुप्त ब्रह्माजी के चित्त से उत्पन्न हुआ था। प्राणियों के कार्यों का हिसाब रखना उनका काम है। इनकी पूजा मुख्य रूप से भाई दूज के दिन होती है। इनकी पूजा करने से लेखनी, वाणी और विद्या का वरदान प्राप्त होता है। चित्रगुप्त भगवान का विग्रह रखें। उन्हें घी का दीपक दें। फिर मिठाई और फूल चढ़ाएं। उन्हें एक कलम भी दें।
हल्दी लगाकर एक सफेद कागज पर “श्री गणेशाय नमः” लिखें। फिर दहाई बार “ॐ चित्रगुप्ताय नमः” लिखें। भगवान चित्रगुप्त से लेखन, ज्ञान और बुद्धि का वरदान मांगें। अर्पित कलम को सुरक्षित रखें और हर वर्ष इसका इस्तेमाल करें।